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Firoz Sayyad 13th November 2018 06:32 PM

Mazdhaar Ke Mahi
 
ham zindagimein ek padawpe aa pahunchte hain, kuch ashar meri kalamse...............
आदमी की जिंदगी भी क्या हैं, जीना इसका नाम हैं
कश्ती किनरपे आ पहुंची, इसके आगे कशतीभी बेजुबान हैं
मेरे हर हर्फ़ोमें, जबसे निकले हुए हर लफ़ज़ोंमें, क्यों बागवतसि नजर आने लगी हैं
मैं शायर हूँ, लकीरोसे खेलना मेरा पेशा हैं
समंदर के किनारे चलता हूँ, एक आहट सी किसीके गुनगुनानेकी तो कही मुस्करानेकी
अभितो बहुत कुछ बाकि हैं, प्यारके लिए एक नज़र काफी हैं ................

Baap ka bete se pyar ..................
सुबहका भूला हून, लौटते लौटते शाम हो गयी
क्या कोयी फ़रक भी महसूस हुआ, कुचभी तो नही
वही शीतलता, वही मासूमीयात, वही दिवानगी
कभी उम्डनेकी, तो कभी डूबनेकी
चलो यही अच्चाह हैं, कल फिर मिलेंगे ..............

Baap ka beti se pyar .................
देखो तो क्या खूब हैं रुतबा तेरा, देखकर तो फरिश्ते भी कापणे लगे
अये मलाईकल मौत, बाता दे ऊस लम्हेण का राज क्या हैं

--- फिरोझ सय्यद


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