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MUKESH PANDEY 11th May 2016 11:13 PM

गजल
 
गजल


https://3.bp.blogspot.com/-YwYQpSTE_...0/DSC01014.JPG
मैं एक ढ़लती हुई शाम उसके नाम लिख रहा हूँ।

एक प्यार भरे दिल का कत्लेआम लिख रहा हूँ।

ता उम्र मैं करता रहा जिस शाम उसका चर्चा,

मैं आज उसी शाम को नाकाम लिख रहा हूँ ।

सोचा था न जाऊँगा जहाँ उम्र भर कभी भी,

उस मैकदे में अब तो हर शाम दिख रहा हूँ ।

हाँसिल न हुआ जिसमें बस गम के शिवा कुछ भी,

मैं उस दीवानेपन का अंजाम लिख रहा हूँ ।

थी हीरे सी चमक मुझमें प्यार के उजाले में,

नफरत के अंधेरों में पथ्थर सा दिख रहा हूँ ।

दुनिया की निगाहों से जिसे था छुपाया करता,

उस बेवफा का नाम सरेआम लिख रहा हू।

By : Mukesh Pandey

Madhu 14 12th May 2016 08:49 AM

Quote:

Originally Posted by MUKESH PANDEY (Post 492767)
गजल


https://3.bp.blogspot.com/-YwYQpSTE_...0/DSC01014.JPG
मैं एक ढ़लती हुई शाम उसके नाम लिख रहा हूँ।

एक प्यार भरे दिल का कत्लेआम लिख रहा हूँ।

ता उम्र मैं करता रहा जिस शाम उसका चर्चा,

मैं आज उसी शाम को नाकाम लिख रहा हूँ ।

सोचा था न जाऊँगा जहाँ उम्र भर कभी भी,

उस मैकदे में अब तो हर शाम दिख रहा हूँ ।

हाँसिल न हुआ जिसमें बस गम के शिवा कुछ भी,

मैं उस दीवानेपन का अंजाम लिख रहा हूँ ।

थी हीरे सी चमक मुझमें प्यार के उजाले में,

नफरत के अंधेरों में पथ्थर सा दिख रहा हूँ ।

दुनिया की निगाहों से जिसे था छुपाया करता,

उस बेवफा का नाम सरेआम लिख रहा हू।

By : Mukesh Pandey

Waah!!!Bahut khoob............................


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