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MANOJTANHA 11th February 2018 12:17 PM

Tanhai ka alam
 
तन्हा जिया करते हैं हम अपनी जिंदगी
उदासियों के साये में, किसी को बता न देना,
कि कहीं ये अँधेरे ना हमसे छिन जाये,
कुछ आदत सी पड गयी है तन्हाई उदासी और अंधेरों की,
तुमसे बिछड़ने के बाद, किसी को बता ना देना


दिल तड़पा, तड़प कर सब्र कर गया
मगर मुझको मुझसे बेदखल कर गया
बहुत तड़पा तड़प कर कुछ कहने के लिए
हर हर्फ़ जुबान पर आते आते रह गया

MANOJTANHA 19th June 2018 05:16 PM

इस नज़्म की एक लाइन भुल गया था अब पुरी नज़्म फिर से लिख रहा हुं


तन्हा जिया करते हैं हम अपनी जिंदगी
उदासियों के साये में, किसी को बता न देना,
कि कहीं ये अँधेरे ना हमसे छिन जाये,
वजह ये नहीं कि उजालों से हम डरते हैं
अंधेरो में रह्ने की, कुछ आदत सी पड गयी है
तन्हाई उदासी और अंधेरों की,
तुमसे बिछड़ने के बाद,
किसी को बता ना देना

MANOJTANHA 19th July 2018 01:25 PM

तू खफा, मैं बेवफा,
दोनो की अदा ही निराली है।


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