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ये जो आँखों में हल्की चुभन सी है इसको तो ख़लि&
ये जो आँखों में हल्की चुभन सी है इसको तो ख़लिश का नाम न दो तूफां में मिट्टी आयी है इसको गिरने दो तुम थाम न लो l खुदगर्ज ज़माने में अक्सर लोगों की फितरत ऐसी है अफ़सोस जुबां पे होता है और आँखों में कोई भी अश्क न हो l चिंगारी ख़लिश की छोटी ही हो “यश” उसमें तपिश ही होती है इसमें जल जाते हैं रिश्ते भी तुम इसको ज़रा सी भी शह तो न दो l (जसपाल) Baghbaan |
Waah …………………………………………………………………… khoob
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