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-   -   आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो by राहत (http://www.shayri.com/forums/showthread.php?t=73448)

sabab-e-ishq 2nd August 2011 06:27 AM

आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो by राहत
 
राहत इंदौरी जी की एक ग़ज़ल पेश-ए-खिदमत है....मुझे बहुत पसंद आई...आप को कैसी लगी ज़रूर बताईयेगा....

आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो


राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो


एक ही नदी के ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना ज़िंदगी से, मौत से यारी रखो


आते-जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में
कूच का ऐलान होने को है, तैयारी रखो


ये ज़रूरी है के आंखों का भरम कायम रहे
नींद रखो या ना रखो, ख्वाब में यारी रखो


ये हवाऎं उड़ ना जाऎं ले के काग़ज़ क बदन
दोस्तों मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो


ले तो आये शायरी बाज़ार में "राहत" मियां
क्या ज़रूरी है के लहजे को बाज़ारी रखो

mittal_pali 21st August 2011 06:12 PM

thanks for sharing this nice post


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