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वो भूली दास्ताँ....
वो भूली दास्ताँ, लो फिर याद आ गयी
नजर के सामने, घटा सी छा गयी कहाँ से फिर चले आये, ये कुछ भटके हुए साए ये कुछ भूले हुए नगमे, जो मेरे प्यार ने गाये ये कुछ बिछडी हुयी यादे, ये कुछ टूटे हुए सपने पराये हो गए तो क्या, कभी ये भी तो थे अपने न जाने इनसे क्यों मिलकर नजर शरमा गयी उमीदों के हँसी मेले, तमन्नाओके वो रेले निगाहोंने निगाहोंसे अजब कुछ खेल थे खेले हवा में जुल्फ लहराई, नजर पे बेखुदी छाई खुले थे दिल के दरवाजे, मोहब्बत भी चली आई तमन्नाओकी दुनियाँ पर जवानी छा गयी बड़े रंगी जमाने थे, तराने ही तराने थे मगर अब पूंछता हैं दिल, वो दिन थे या फ़साने थे फकत एक याद हैं बाकी, बस एक फर्याद हैं बाकी वो खुशियाँ लूट गयी लेकीन, दिल-ए-बरबाद हैं बाकी कहाँ थी जिन्दगी मेरी, कहाँ पर आ गयी |
Quote:
Dear Madhu.......muje purane hindi songs behad pasand hain. thanx for sharing :) |
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