Shayri.com

Shayri.com (http://www.shayri.com/forums/index.php)
-   Ghazal Section (http://www.shayri.com/forums/forumdisplay.php?f=14)
-   -   बुलाने पे भी न वो रूका, मेरी ख़ामोशी ही अच्छी & (http://www.shayri.com/forums/showthread.php?t=80316)

Baghbaan 21st March 2018 11:43 AM

बुलाने पे भी न वो रूका, मेरी ख़ामोशी ही अच्छी &
 
बुलाने पे भी न वो रूका, मेरी ख़ामोशी ही अच्छी थी
अगर मैं होश में न था तो वो बेहोशी ही अच्छी थी l

किसी के वास्ते जीना, उसी के वास्ते मरना
यूँ चुप रहना भी क्या रहना, थोड़ी सरगोशी ही अच्छी थी l

जुदा होना भी मुश्किल था, भुला देना भी मुश्किल है
तेरा यूँ देख कर मुड़ जाने से फरामोशी ही अच्छी थी l

कहां से आना कहां को जाना किसे मालूम होता है
तूफां से आने के पहले की “यश” वो ख़ामोशी ही अच्छी थी l

(जसपाल)
Baghbaan
(
सरगोशी- शिकायत ..फरामोशी – भूलना


All times are GMT +5.5. The time now is 02:52 AM.

Powered by vBulletin® Version 3.8.5
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.