ऐ ज़िन्दगी थोड़ा तो सब्र कर....
ऐ ज़िन्दगी थोड़ा तो सब्र कर....
थक गयी हूँ तय करते करते यूँ सफर ... कहीं तो थम …कहीं तो ठहर..... ऐ ज़िन्दगी थोड़ा तो सब्र कर.... बीती जा रही है यूँ ही उम्र मेरी... खोज में तलाश ऐ सुकन… राहत ऐ मर्ज़ की … कुछ तो इसकी मदद कर.... ऐ ज़िन्दगी थोड़ा तो सब्र कर.... मिटती जा रही है लकीरें इन हाथों की... बढ़ती जा रही है माथे की शिकन... कुछ तो इन लक्कीरों की कद्र कर…. ऐ ज़िन्दगी थोड़ा तो सब्र कर.... |
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likhti rahiye.... |
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Thank u Madhu ji n Manoj ji.... sukriya aapko pasand aayi...
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