धज्जियां ऊडवाई गई –मुहम्मदअली वफा
दास्ताने गम जो थी, वो फिरसे दोहराई गई
फिर हमारी ही गली में ये आग लगवाई गई
घेरा गया बे दर्दीसे फिरसे हमारे गांव को
एक एक पत्थर ईंटकी धज्जियां ऊडवाई गई
कोन कहता ?क्या वो कहता? सब थे सकतेमे यहां
क्या बताएं? हर तरफसे उनकी रूस्वाई हुई
खूब चींखा,खूब चिल्लाया गरीब मज़लूम तो
वावेल था एक अजीब, ना कोई सुनवाई हुई
जलते हुए घरसे निकाला , और डाला जेलमें
मज्लूमकी इस मुल्कमें खूब पझीराई हुई
4मे2011