5th October 2010, 05:55 PM
यह प्रीत तुम्हारी श्याम हमे नहीं पोशाती है
हम बुला बुला हारे तुम्हे लाज ना आती है ....
हम तो तुम्हे याद करे तुम हमको बिसरा दो
हम तुमको ना बिसराए तुम हम को ठुकरा दो
क्यों तरपाते हो हमे यु बना के साथी हो ... यह प्रीत ....
फेरत फेरत आँखें यह पलके भी दुखने लगी
नहीं नींद हमे आती यह रात भी ढलने लगी
कितने निर्मोही तुम यह रात बतलाती है .... यह प्रीत ...
हम जब सो जाते है तुम दौड़े आते हो
हम ताना देते तुम्हे तुम हंस के दिखाते हो
कैसी यह रीत तेरी मेरी समझ ना आती है .. यह प्रीत
एक भक्त पुकारा था तुम जैस प्यारा था
उसे लगन थी एक तेरी एक तेरा सहारा था
नरसी था नाम उसका थी भक्ति साची है .. यह प्रीत तुम्हारी
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Aapka Apna Ishk
'इश्क' के बदले इश्क चाहना तिजारत है
इज़हार किससे करें महबूब तो दिल में है
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