17th February 2015, 10:36 PM
shoiab bhai kya baat hai ....kheench layi aapji ghazal yahan.......
वो जुदा तो हो गयी डोली मे इक दिन बैठ कर,
पर मेरे कानोँ मे कुछ शहनाइयां बाकी रहीं.
ye lines to jaiSe dil me ghar kar gayi....
एक हाथ में दिल उनके एक हाथ में खंजर था
चेहरे पे दोस्त का मुखौटा अजीब सा मंजर था
Arvind Saxena
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