मेरी एक ग़ज़ल तखल्लुस (हिलाल चन्दौसवी) -
12th June 2014, 05:19 PM
सफर याद रखना न घर याद रखना।
मगर आंसुओं के गुहर याद रखना।
गया जब मैं परदेश रुपया कमाने-
तो अम्मा ये बोली कि घर याद रखना।
तुम्हें ख़ार से फूल जिसने बनाया-
वो चाहत भरी एक नज़र याद रखना।
मिले लाख गुलशन ज़माने में फिर भी-
वो आँगन का बूढ़ा शजर याद रखना।
'हिलाल' उसकी रहमत है सारे जहाँ पर-
ये लाज़िम है शामो-सहर याद रखना।
-------हिलाल चन्दौसवी
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