आज कुछ भी याद नहीं... -
23rd March 2017, 01:13 PM
उम्र के साथ इस तरह धुँधँली हो जाती है यादें….
की जिस घर मे बरसों रहे हम…
आज उस घर की दीवारों के रंग भी याद नहीं...
उम्र के साथ इस तरह भूली बिसरी हो जाती है बातें…
की जिन नगमो को गुनगुनाया करते थे हम….
आज उनके बोल तक याद नहीं...
उम्र के साथ यूँ बढ़ गयी है जिम्मेदारियां…
की जिनके साथ खेलते थे रोज नए नए खेल…
आज उन दोस्तों के नाम तक याद नहीं..
उम्र के साथ यूँ बदल गयी है ज़िन्दगी….
की किस तरह जीने का सोचा था..
आज कुछ भी याद नहीं...
आज कुछ भी याद नहीं...
Mudattein hui… Mulakat hue….
Suno… Aie… Zindagi…..
Is bar jate jate….
Jara milti jana……
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