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Mujahid Ali
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Mujahid Ali will become famous soon enough
 
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24th June 2016, 11:24 PM

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Originally Posted by solankialpesh View Post
अगर आयने को कोई दे दे जुबाँ, केह दे वो अपने दिल की दास्ताँ,
तुम कितनी खुबसूरत हो, तुम कितनी खुबसूरत हो ...

तुम्हे राग कहे या कहे रागिनी,
तुम्हे चाँद कहे या कहे चांदनी,
मैंने तारों से पूछा,बहारों से पूछा,
खुशबु से मेहकते बागो से पूछा,
तेरे जैसा कोई भी हसीन नहीं दूजा,
अगर फूल को कोई दे दे जुबाँ, केह दे वो अपने दिल की दास्ताँ,
तुम कितनी खुबसूरत हो, तुम कितनी खुबसूरत हो ...

शाम ये कैसी सजी है गुलाबी,
पिगली हो जैसे तेरे होठों से लाली,
मैंने पूछा जमीं से, मैंने पूछा आसमाँ से,
मैंने पूछा परियों से ,पूछा अप्सरा से,
तेरे जैसा कोई भी हसीन नहीं दूजा,
अगर ताज को कोई दे दे जुबाँ, केह दे वो अपने दिल की दास्ताँ,
तुम कितनी खुबसूरत हो, तुम कितनी खुबसूरत हो ...

Aazaad nazm mai kaafi mahaarat rakhtey hai

Solanki sahab bohat umda kalaam hai ye
Kabhi koi ghazal bhi inaayat karey hamey

Likhne ke silsiley ko jaari rakhey
   
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