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Originally Posted by rajveeer
मेरी तस्वीर बनाने की जो धुन है तुमको,
क्या उदासी के खदो खाल बना पाओगे?
जो मुक़्क़दर ने मेरी सिमत उछाला था कभी,
मेरे माथे पे वही जाल बना पाओगे?
सर की दल दल में धंसी आँख बना सकते हो,
आँख में फैलते पाताल बना पाओगे?
ज़िन्दगी ने जो मेरा हाल बना छोड़ा है,
मेरी तस्वीर का वो हाल बना पाओगे ?
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Rajveer ji Bahut Behtreen Gazal Hai, Dil ko chu liya. Likhte rahiye.
Aapka Dost