26th February 2016, 03:48 PM
मुद्दत से एक बात चली आती थी
कि वक्त की ताक़त रिश्वत देती
इतिहास से चोरी
इतिहास के पन्नों की खरीदती
वह जब भी चाहती रही
कुछ पंक्तियाँ बदलती
और कुछ मिटाती रहीं ,
इतिहास हँसता रहा
खीझता रहा ,
और हर इतिहास कार को
वह माफ़ करता रहा !
पर आज शायद
बहुत ही उदास है -----
एक हाथ उसकी जिल्द को उठा कर
कुछ पन्नों को फाड़ता
और उनकी जगह
कुछ और पन्ने सी रहा है
और इतिहास ---
चुपके से पन्नों से निकल कर
एक पेड़ के नीचे खड़ा
एक सिगरेट पी रहा है.....
-इमरोज़
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.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
Last edited by sunita thakur; 3rd April 2017 at 11:50 AM..
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