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masttt...
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28th March 2010, 08:48 PM
वर्षों तक बन में घूम घूम
बाधा विघ्नों को चूम चूम
सह धुप घाम पानी पत्थर
पांडव आये कुछ और निखर
सौभाग्य न हर दिन होता है
देखें आगे क्या होता है
मैत्री कि राह बताने को
सबको सुमार्ग पर लाने को
दुर्योधन को समझाने को
भीषण विध्वंस बछ्ने ko
भगवान् हस्तिनापुर आये
दो न्याय अगर तो आधा दो
पर इसमें भी यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पांच ग्राम
रखो अपनी धरती तमाम
हम वहीँ ख़ुशी से खायेंगे
परिजन pe असी न उठाएंगे
दुर्योधन वो भी दे न सका
आशीष समाज कि ले न सका
जब नाश मनुज पर छाता है
तो पहले विवेक मर जाता है
हरी ने भीषण हुंकार किया
अपना रूप विस्तार किया
डगमग डगमग दिगाज्ज डोले
भगवान् कुपित हो कर बोले
ज़ंजीर बाधा अब साध मुझे
हाँ हाँ दुर्योधन बाँध मुझे
यह देख गगन मुझमे लय है
यह देख पवन मुझमे लय है
मुझमे विलीन jhankaar सकल
मुझमे लय है संसार सकल
अमरत्व फूलता है मुझमे
संहार झूलता है मुझमे
सब जनम मुझी से पाते हैं
और लौट मुझी में आते हैं
बांधने मुझे तो आया है
ज़ंजीर बड़ी क्या लाया है
यदि मुझे बांधना चाहे मन
पहले तू बाँध अनंत गगन
सूने को साध न सकता है
वो मुझे बाँध क्या सकता है
हित वचन nahi तुने माना
मैत्री का मुक्य न पहचाना
तो ले अब मैं भी जाता हूँ
अंतिम संकल्प सुनाता हूँ
याचना नही अब रण होगा
जीवन जय या कि मरण होगा
दुर्योधन रण ऐसा होगा
फिर कभी नही जैसा होगा
भाई पर भाई टूटेंगे
विष बाण बूँद से छूटेंगे
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे
वायस श्रृंगाल सुख लूटेंगे
थी सभा सन्न, सब लोग डरे
चुप थे या थे बेहोश पड़े
केवल दो नर न अगठे थे
ध्रित्रश्तर विधुर सुख पाते थे
कर जोड़ खड़े प्रमुदित निर्भय
दोनों पुकारते थे जय जय
'E Taahire Laahuti!!!
Uss Rizk Se Tau Maut Bhali
Jis Rizk Se Aatee Ho
Tere Parwaaz MeiN Kotaahi....
vikramjethi@gmail.com
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