20th September 2016, 10:05 AM
एक बार मोहब्बत और दर्द के सारे एहसास ,
सघन हो कर आग की तरह लपट से पास आए और इश्क का एक आकार ले लिया ..
उसने पूछा ..कैसी हो ? ज़िन्दगी के दिन कैसे गुजरते रहे ..?
जवाब दिया ..तेरे कुछ सपने थे .मैं उनके हाथों पर मेहन्दी रचाती रही .
उसने पूछा ..लेकिन यह आँखों में पानी क्यूँ है ?
कहा ..यह आंसू नही सितारे हैं ...इनसे तेरी जुल्फे सजाती रही ..
उसने पूछा .इस आग को कैसे संभाल कर रखा ?
जवाब दिया काया की दलिया में छिपाती रही
उसने पूछा -बरस कैसे गुजारे ?
कहा तेरे शौक की खातिर काँटों का वेश पहनती रही
उसने पूछा काँटों के जख्म किस तरह से झेले
कहा दिल के खून में शगुन के सालू रंगती रही
उसने कहा और क्या करती रही
कहा कुछ नही तेरे शौक की सुराही से दुखों की शराब पीती रही
उसने पूछा .इस उम्र का क्या किया
कहा कुछ नही तेरे नाम पर कुर्बान कर दी
-अमृता
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.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
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