मैं कौन हूँ , कौन हूँ मैं -
14th June 2019, 02:59 PM
मैं कौन हूँ , कौन हूँ मैं,
अकसर पूँछा करता हूँ मैं ये सवाल ख़ुद से
हर बार मिलता है पर एक अलग जवाब
फिर कौन हूँ मैं कौन
कभी बेटा तो कभी पति
कभी बाप तो कभी भाई
नहीं कुछ और भी हूँ मैं
पर क्या
फिर वही सवाल
और अलग अलग जवाब
कभी हिन्दु या मुसलमान
तो कभी सिख या ईसाई
नहीं नहीं इन सब के सिवा कुछ और भी हूँ मैं
पर क्या ?
फिर वही सवाल आख़िर कौन हूँ मैं
बहुत सोचा बहुत कचोटा
अपने अंतर्मन को
क्या इन रिश्तों और धर्म के सिवा
नहीं है जिसमें कोई स्वार्थ
नहीं है जो किसी सीमा के आधीन
है क्या ऐसा मेरा कोई अस्तित्व
फिर एक दिन आती है एक आवाज़
सुना है क्या तूने कभी इंसानियत का नाम
निभाया है क्या कभी इंसानियत का धर्म
बँधा है क्या कभी इंसानियत के रिश्तों में
है क्या तेरा ऐसा कोई अस्तित्व
पूँछना है तो पूँछ ये सवाल ख़ुद से
फिर आयेगा सिर्फ़ और सिर्फ़ एक जवाब
फिर नहीं होगी कोई सीमा धर्म की
ना ही होगी कोई रिश्तों की जँजीर
और तू कह सकेगा कि हाँ मैं हूँ एक इँसान
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