बात कुफ्र की, की हैं हमने
अम्बर की एक पाक सुराही
बादल का एक जाम उठाकर
घूंट चांदनी पी हैं हमने
बात कुफ्र की की हैं हमने
कैसे इसका क़र्ज़ चुकाये
मांग के अपनी मौत के हाथों
उम्र की चोली सी हैं हमने
बात कुफ्र की की हैं हमने
अपना इस में कुछ भी नहीं हैं
रोज़े या जलसे उसकी अमानत
उसको वही तो दी हैं हमने
बात कुफ्र की की हैं हमने
-अमृता प्रीतम