21st September 2016, 11:18 AM
‘‘मुहब्बत और वफा ऐसी चीज़ें नहीं है, जो किसी बेगाना बदन के छूते ही खत्म हो जाएं। हो सकता है—पराए बदन से गुज़र कर वह और मज़बूत हो जाएं जिस तरह इन्सान मुश्किलों से गुज़र कर और मज़बूत हो जाता है.....’’
-अमृता प्रीतम
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.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
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