3rd April 2017, 11:49 AM
एक दर्द था --
जो सिगरेट की तरह
मैने चुपचाप पिया है
कुछ नज्में हैं ----
जो सिगरेट से मैने
राख की तरह झाड़ी हैं !
---अमृता प्रीतम
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.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
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