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secret admirer
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4th September 2010, 06:18 PM

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Originally Posted by santosh_kumar View Post
भाग्य और कर्म अच्छा टॉपिक है
ये कहना की दोनो में बड़ा कौन है थोड़ा मुस्किल है मगर देखा जाए तो कर्म ही प्रधान है गीता में भी श्री कृष्ण ने भी कर्म को प्रधान कहा है ! जीवन में कई बार ऐसा होता है जब हमे कर्म के अनुसार फल नही मिलता उससे अधिक या कम फल मिलता है तो इसका कारण हम भाग्य को मान लेते हैं, इसलिए कर्म और भाग्य दोनो ही ऐसे विषय हैं जिन्हे जानने के लिए सब आतुर रहते हैं !
कर्म के फल के अनुसार ही जीवन में सुख और दुख की अनुभूति होती रहती है ! हमारा जीवन पूर्व जन्म और आने वाले जन्म से जुड़ा हुआ रहता है ! हमारे पूर्व जन्म का कर्म ही इस जन्म का भाग्य होता है और इस जन्म का कर्म ही अगले जन्म का भाग्य होगा ! भाग्य हमारे हाँथ में नही होता मगर कर्म हमारे हाँथ में होता है, जो दिखाई दे रहा है वो कर्म है और जो नही दिखाई देता वो भाग्य है, इसलिए भाग्य को ईश्वर से जोड़ा गया है !
हम जिस प्रकार का कर्म करते भाग्य भी उसी के अनुकूल होता है ! कर्म पूर्णतः बड़ा है परंतु भाग्य को भी नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता ! कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है, सही समय पर सही दिशा का ज्ञान भाग्य को बदल सकता है ! सनातन धर्म में कर्म का बहुत महत्व है !
santosh bhai.......vichar acche hain parantu apko nahi lagta ke galat thread par prastut kar diye apne.
ye thread Bal Mazduri ko le kar hai..Luck vs work wali thread dusri hai....


Na tha main to khuda tha, kuch na hota to khuda hota?
mitaya mujh ko hone ne, na hota main to kya hota !!
(NM)
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