24th February 2010, 11:26 PM
गुलूं में रंग भरे बाद -इ - नौबहार चले
चले भी आओ के गुलशन का कारोबार चले
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो
कहीं तो बहर -इ -खुदा आज जीकर -इ -यार चले
कभी तो सुबह तेरे कुञ्ज -इ -लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब् सर -इ -काकूल से मुशाक्बार चले
बड़ा है दर्द का रिश्ता यह दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आएँगे घम्गुसार चले
जो हम पे गुजरी सो गुजरी मगर शब् -इ -हिज्राँ
हमारे अश्क तेरी आकबत संवार चले
मक़ाम फैज़ कोई राह में जाचा ही नहीं
जो कुए यार से निकले तो सुए दार चले
--फैज़ अहमद फैज़
Zainy
PalkoN ki baand ko tod ke daaman pe aa gira
Ek aaNsu mere zabt ki tauheen kar gaya...
Nm
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