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30th October 2017, 03:20 PM
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Originally Posted by Madhu 14
तुम्हारी यादें बेड़ियाँ हैं?...
बेड़ियाँ किसी को इतनी अच्छी लगती हैं क्या
जैसे मुझे लगती हैं..खुद को इनमें बाँध कर रखना चाहती हूँ
तब तक जब तक की तुम खुद आकर इन्हे खोल न दो
एक एक कड़ी को टुकड़ो में करो ..
फिर इन्ही से श्रृंगार कर दो मेरा
पाँव , कलाइयाँ,कमर ,माथे पर सजा दो इन्हें
और फिर तुम्हारी आँखों में
खुद का ये रूप देखकर पलकें झुका लूंगी
हाँ वादा है ऐसा ही होगा
पर तब तक ये मेरी आंखें दरवाज़े पर लगी रहने दो न
मुझे इन बेड़ियों में बंधी रहने दो न ....
मधु
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Madhu Bala....ehsaas dil fareb haiN, bahut acche se bayaan ki hi dil ki hasrate, es kavita meiN jo tadap hai usey maiN mehsoos kar sakti hu, tadap...intejaar aur dard sab apna sa lag rha hai....!!
yu hi bazma ki ronak badati rho.
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.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
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