शीकवए कालु_कालु कव्वाल -
4th February 2008, 10:04 AM
शीकवए कालु_कालु कव्वालशीकवए कालु_कालु कव्वाल
शहीदे हिंद महात्मां गांधी के नाम!
कातिल रहे जो आपके दर्दे निहां, बन गये.
राहझन बदल कर बेश खुद राहेनुमां बन गये.
खूनो खराबाकी रही आदत यहां,जीनकी
वो कौमके देखो जरा अब महेरबां बन गये.
रंगीन है जो आपके वो खूनसे हाथ तक
वो बापु हिंदमें हमारे पासबां बन गये.
हां मुल्क के ये सब कमीने गीध के बच्चे
हरदम रहे दर्दे जिनां रश्के जिनां बन गये.
समजा गया हुकमे खुदा हैवान का ये पुजना
अफ्जलुल हेवां के सभी कातिल झमां बन गये.
ईनसानियत के जो बने दागे बदनुमा यहां
वो आज देखो अजमतों के भी निशां बन गये.
हेसियत थी ना कोइ के दाना बने राइका
गर्दिश चली जो वकतकी तो आसमां बन गये.
‘कालु’ कभी तो जाग ऊठेगा मुकद्दर हिन्दका
कातिल सभी मिट जायेंगे जो कारवां बन गये.
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