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Originally Posted by brijbhan singh
लफ्जो को पहलु में रखके नजरो से बात होती है
हमारी जब भी तुमसे मुलाकात होती है
कविता ग़ज़ल गीत फीके से पड़ जाते है
और हमारी गुफ़्तगू विख्यात होती है
जुल्फ चेहरे पे आती है और चेहरा निखर जाता है
ये तो बस तुम्हारे शर्माने की शुरुआत होती है
अधर से जब फूटती है प्रेम की व्याकरण
हमारे ह्रदय में खुशियों की बरसात होती है
सौन्दर्य का वास्तविक उदाहरण हो तुम
तुम्हारे प्रकाश के बिन हमारी दुनिया में अँधेरी रात होती है
रहमत है ख़ुदा की ब्रज पर जो तुम मिले हो
हर पल तुम्हारे साथ एक नयी सौगात होती है[/b][/font]
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Waah achchi koshish brij ji....
Aate rahein..
Likhte rahein....