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16th December 2015, 09:21 PM
उसके प्यार का अमृत पी लिया,
अब तू कुछ भी कर ले ख़ुदा..
मैं मर नहीं सकती
जो ज़िन्दगी तूने दी थी, वो तो,
मैं कब की उस पर वार चुकी,
अब जो जी रही हूँ, उसकी इनायत है,
ये बात मैं उसे भी कब की बता चुकी,
इससे मैं मुकर नहीं सकती
अब तू कुछ भी कर ले ख़ुदा,
मैं मर नहीं सकती ..
इक उम्र जी गयी अकेले जाने कैसे,
बस इक साँस थी जो आती-जाती थी,
और अब तुम हो, जो मेरे पास हो,
वर्ना तन्हाई, तन्हाई में साथ निभाती थी....
जिसका मैं ज़िक्र कर नहीं सकती
अब तू कुछ भी कर ले ख़ुदा,
मैं मर नहीं सकती .....
-अमृता प्रीतम
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.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
Last edited by sunita thakur; 8th January 2016 at 03:41 PM..
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