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24th January 2009, 02:51 PM
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Originally Posted by nalinmehra
मोहोब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल मैं मैंने है जाना......
वो झुकी झुकी सी आँखें उसकी और लबों पे मुस्कान का खिल आना,
बस मेरी एक छुअन से उसका ख़ुद में सिमट जाना,
फिर हौले से खोलना झील सी आँखें और मेरा उनमे डूब जाना,
शरारत भरी निगाहों से फिर मेरे दिल मैं उसका उतर जाना,
रखना फिर मेरे कांधे पे सर अपना और उसका वो ग़ज़ल गुनगुनाना,
मोहोब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल मैं मैंने है जाना.......
वो पायल की झंकार और उसकी चूड़ियों का खनखनाना,
चाल में मस्ती और उसका आँचल को लहराना,
सुनकर मेरी बातों को उसका हौले से मुस्कुराना,
मेरी हंसी मैं ढूँढना खुशी और मेरी उदासी मैं उदास हो जाना,
जो लगे चोट मुझे तोः रो-रो के उसका बेहाल हो जाना,
मोहोब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल मैं मैंने है जाना.......
वो करना शाम ढले तक बातें और थाम के हाथ मेरा सपने सजाना,
बहुत मासूमियत से उसका मुझे ज़िन्दगी का फलसफा समझाना,
जब हो लम्हा उदासी भरा तोः उसका मुझे गले लगाना,
छाये जब अँधेरा गम का तोः खुशी की किरन बन जाना,
मोहोब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल मैं मैंने है जाना,
मोहोब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल मैं मैंने है जाना.......
नलिन
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eak pal me jaan lena thaa mahobat ko tujhe
main hi bas barso'n ki koshish me raha diwana sa
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