Quote:
Originally Posted by shab_seher
भाई बेहद उम्दा क़बूल करें
जाने कौन सी मंज़िल कहाँ चलता जा रहा हूँ मैं
उसको पा रहा हूँ या ख़ुद को खोता जा रहा हूँ मैं ..
ये उसका मज़ाक़ का तरीक़ा है कोई तँज़ नहीं मुझपर
हर बार यही कहकर ख़ुद की अना को बहला रहा हूँ में ..
इस बार की ग़लती मेरे लिए उसकी आख़री है
जाने कबसे ख़ुद को यही समझा रहा हूँ मैं ...
जाने कौन है पांडव जाने कौन है कौरव इनमें
दिल-ओ-दिमाग़ की लड़ाई में कुरुक्षेत्र बनता जा रहा हूँ मैं ...
|
Bhai ne nahi bahan ne likhi Hai Jo..
Bahot shukriya...aur bahot khoob likha Hai aapne bhi aate rahiyega..