एक अँधेरी खामोश रात
अकेला चाँद लिपटा हुआ है तारों में..
तेज धुप, खुली आसमान
फैला हुआ है बहारों में..
कुछ सनसनी सी हवा के झोंके
दहला के चले गए किनारो में..
दूर से आती हुई एक धून
जो गूंजता है कानो में..
पत्थर को चीरती हुई पानी की धारा
कुछ अनकही एहसास देता है साँसों में..
जी ले कुछ पल ज़िन्दगी के इन लम्हों में
और क्या रखा है इस दुनिया के ज़ंजीरों में...
रीती
उन बीते लम्हों के याद ना दिलाया करो
दिल में सुलग रही आग को ना हवा दिया करो