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Originally Posted by solankialpesh
न जाने कौन रंग से रंग दिये कि निकला ना जाये,
शरमाके मेरा हर अंग जैसे सिमटा सा जाये।
न जाने क्यूँ रे हमरा मन बावला हो गया,
समजाने से लाख़ भी उसके समज में ना आये।
न जाने किस जग़ह, किस घड़ी, दिल पराया हो गया,
अनजाने किस चेहरे का एक पल में दीवाना हो गया।
न जाने क्यूँ मेरे नैनन में निंदिया ना आये,
नज़राने में किसने हमे बैचेनी का तोहफ़ा दे दिया।
न जाने किस जादू से हमरा नज़रिया बंधा जाये,
आयने में आज हमने अपने आपको जुदा पाया।
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Achchi koshish hai solanki ji........................