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Originally Posted by Rashmi sharma
अतीत की स्मृति
मेरे गीतों की हर लय मे
है झाँक रहा मेरा अतीत
उस मधुर समय की गोदी में
बीता युग जब है याद आता
नैनो से वहते हैं आँसू
मैं इनको रोक नही पाता
जग देख मेरे आँसू हंसता
कैसी इस पगले जग की रीत
मेरे गीतों की हर...............
जीवन के सुखद क्षणों में जब
मैने तुमको अपनाया था
तब आशाओं का सुन्दर सा
मैने एक महल बनाया था
परन्तु पल में वह धूल हुआ
मैं हार गया जग गया जीत
मेरे गीतों की ...............
जाने खो गये कहाँ जाकर
मेरे जीवन के मधु सपने
ओर छोड़ गये हैं साथ मेरा
वह भी जो थे साथी अपने
मुख मोड़ गये वह भी मुझसे
समझा था जिनको मन का मीत
मेरे गीतों की...................
युग बीत गया मेरे अधरों पर
मुस्कान कभी ना खेली है
मधुमास ना आया जीवन में
मैने इतनी पीड़ा झेली है
धीरे-धीरे जीवन दीपक
बुझता हुआ होता प्रतीत
मेरे गीतों की हर लय में
है झाँक रहा मेरा अतीत
Dr Ved Parkash Azad
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Rashmi ji, is tarah in kritio ko hum tak pahuchane ke liye aapko dhanyawad.
padh kar bahut hi anand aaya