Ajadi -
14th August 2018, 08:08 PM
आज वह आजादी की रात हैं, ७ दशकोकि बात हैं
आंखे तो देखो नमीसी हैं, छलकते खुशीके जाम हैं
कोई पूंछे राजे बात क्या हैं, आज वह आजादी की रात हैं
तेरे गुम्बज की निशानी क्या हैं, तेरे पाताल की ताकत क्या हैं
तेरी विशालता के राज क्या हैं, १२५ करोड़ की आबादी तुज़मे फ़ना हैं
बस एक बिनती हैं उनसे, जिनके हातोंमें तेरी ललकार हैं
कही नमिसि जमीन दो बीघा आसमान हैं, कही रेगिस्तान मेंभी नहरोंका आगाज़ हैं
डर तो शायद महसूस सा हैं, कहीं कदम फिसलने का दर भी तो हैं
कल थमनेके लिए जो खड़े थे, आज उन्हीसे डर की बारात हैं
आज क्यों एक जलनसी, तो कही अजीबसी तडपकी बात हैं
आज तो वह पुर्खोकी बाते बनी हैं, इस रात का राज क्या हैं
क्या वह दौर था, लगता हैं यह सब तो अपने आप हैं
इतिहास दोहराये नहीं जाते, उनसे सीखा जाता हैं
सुबह का निकलता सूरज, शामकी गोदमें वही यदि लेकर आता हैं
वही अँधेरी रात की बात हैं, इसके ढ़लनेके बाद फिरसे वही शाम हैं
सुबह दिन की शुरुवात हैं, शामके बात दिन का ढल जाना और रात का आना हैं
चलो आजकी रातमें, कुछ इतिहास की पन्नोंको पलटाये
आज हम सबकी यह कामयाबी हैं, बस उसे याद करना हमारी चाह हैं
कल एक दिनके बाद, फिरसे वही हमारा जीना हैं वही हमारा मरना हैं
आज वह आजादी की रात हैं, ७ दशकोकि यह बात हैं
भूलना जाना यारो, वह महसूस करना उन पन्नोंको पलटना
जिंदगी तो अणि जानी हैं, आज वह आजादी की रात हैं ....................
--- फ़िरोज़ सय्यद
Main Jindagi hoon teri,
tuzhe pata nahin.
Tum taqdir hon meri,
mujhe khabar nahin.
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