ये तो दो आत्माओं का प्यार है !! -
14th March 2010, 01:27 PM
नए और पुराने सभी प्यारें दोस्तों को आदाब, नमस्कार, सत-श्री-अकाल ........
एक बार फिर एक नयी कोशिश लेकर हाजिर हूँ दोस्तों
आपका दोस्त.......... राज
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मैं रास्तों से भटकता गया, मंजिलें भी मेरी खोती गयी
ज़ख्मों के साथ चलता गया, रात-दिन आँखें भी रोटी गयी,
मुझसे आके पूछने लगती है मेरी बेबसी
क्योँ बोझ लगने लगती है ज़िन्दगी
किस्मत के आगे हारता चला गया मैं
दिल में आता है कि कर लूँ खुदख़ुशी,
उम्मीदें भी अब तो दम तोड़ने लगी है
साँसें भी अब तो साथ छोड़ने लगी है,
मैं बिन उसके अकेला चल ना सका
मगर वो पत्थर दिल सनम पिघल ना सका,
हम तो उसके क़दमों में बिखरने को तैयार है
जहाँ में उसका कोई इलाज नहीं, जो इश्क का बीमार है
बरसों पहले था जिसका "राज" को, आज भी उसी का इंतज़ार है
केवल जिस्मों का नहीं, ये तो दो आत्माओं का प्यार है !!============================
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