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एक घर मैं कहकहे और शहनाई की आवाज़---------KaviDeepak Sharma -
5th October 2008, 03:12 PM
तेरी हर बात पे हम ऐतबार करते रहे
तुम हमें छलते रहे, हम तुम्हें प्यार करते रहे ।
कोशिशे करते तो शायद मंजिले मिल जाती
मगर अफ़सोस तुम वादे हज़ार करते रहे ।
मुझको मालूम था तुम नही आओगे फ़िर भी
एक उम्मीद सी लिए इंतज़ार करते रहे ।
ज़िन्दगी यूँ तो गुज़र रही है पहले की तरह
पर पिछले घाव कुछ जीना दुश्वार करते रहे ।
याद आते ही तुम्हारी , सीने के समंदर से
नयन भर - भर के अश्कों की बोछार करते रहे ।
एक घर मैं कहकहे और शहनाई की आवाज़
'दीपक' अरमान मेरा तार - तार करते रहे
This is the creation of Kavi Deepak Sharma ,displayed only for reading .
No commercial use please.
All right with kavi Deepak Sharma for
this Poem.
Enjoy........
Regards
Kavyadhara Team
http://www.kavideepaksharma.co.in
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