शब्दों से बनता है कहानी
और शब्द में ही ख़त्म होता है
कभी सच तो कभी झूट
कभी दीवार की तरह रस्ते पे खड़े
कभी दरवाजे की तरह खुलते बंद होते
शब्दों के दरारों में कुचल के
टूट जाते हैं कई सपनो की दुनिया
शब्द से बने इंसान और शब्दहीन इंसान
सब बहते रह हैं दुनिया की सागर में
शब्द कभी कभी कांप उठते हैं
और बिरोध करने लगते हैं
हर सीमा और सरहद को लांघे
चले आते हैं इस सीने में
बनाने को और एक शब्द
शायद उस का नाम दर्द होता है.
उन बीते लम्हों के याद ना दिलाया करो
दिल में सुलग रही आग को ना हवा दिया करो