Shukriya Naresh Sahab itni pyari gazal ki itne acche shayar ne tarif ki ate raha kijiye
Quote:
Originally Posted by naresh_mehra110
'ख़ुद अपने से ज़्यादा बुरा ज़माने में कौन है
मैं इसलिए औरों की बुराई पे नही लिखता.'
'उसकी ताक़त का नशा "मंत्र और कलमे" में बराबर है !!
मेरे दोस्तों!! मैं मज़हब की लड़ाई पे नही लिखता.'
'समंदर को परखने का मेरा नज़रिया ही अलग है यारों!!
मिज़ाज़ों पे लिखता हूँ मैं उसकी गहराई पे नही लिखता.'
'पराए दर्द को मैं ग़ज़लों में महसूस करता हूँ ,
ये सच है मैं शज़र से फल की जुदाई पे नही लिखता.
Toooooo Goooooooood.........!
Kya Ghazal pesh ki hai aapne hai.....kya baat hai...!
Itni khoobsurat Ghazal.....Humare saath baantne ke liye...
Kashif Bhaai......aapka bahut bahut shukriya......
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