Quote:
Originally Posted by Dev Kumar
होंठ जैसे गुलाब के फूल हो
बाल जैसे काली काली घटा
आँख जैसे गहरा सागर
पलकों पर जैसे हर मौसम फ़िदा
हर एक मुस्कान पर मरे कितने ही
उसकी है हर बात निराली और जुदा
नज़र उठे तो घटा छा जाये
नज़र गिरे तो हो जाये बारिश
और क्या कहू उसकी शान में आप सब से
बस छोटी सी ये एक मिसाल है उसके हुसन की।
देव कुमार
|
Dev kumar ji
bahut achchhi koshish hai aapki... likhawat se vastavikata jhalakti hai..
likhate rahiye..
shubhkamnao sahit,
Akant...