ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही हो -
13th March 2008, 01:08 PM
क्यों कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच तो ये है कि जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है,कोई कह लेता है
क्योंकि ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे.
यहाँ ठोकर देने वाला हर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता
(Not Mine)
"Do Pal Ruka Khushio.n ka Karwan"
Dunia ke sitam ki koi perwah nahi mujhko,
wo kyoun mujhpe ungliya uthaye ja rahe hain.
Jis shaks ko janta tha ek chehre se ''kashif''
Uske kitne chehre samne laye ja rahe hain.
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