शायर परवीन कोमल
टूटे हुए पत्ते का कोई ठिकाना नहीं होता
टूटे हुए पत्ते का कोई ठिकाना नहीं होता
किस्मत में वापिस लौट के के आना नहीं होता ।
डाली पे फिर बहार में उगती हैं कोम्पलें
टूटे हुए का कोई आशियाना नहीं होता ।
पतझड़ का साथ देके जो बागी हुआ पत्ता
उसका किसी बहार में जमाना नहीं होता ।
जब आंधियों पे तय सफर करने की ठान ले
पत्ते के लिये फिर कोई दीवाना नहीं होता ।
जब शाख पे था नरम था कोमल भी बहुत था
अब सख्त है पत्थर का निशाना नहीं होता ।
परवीन कोमल 17-4-2016 3:00
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