Ek ghazal likhwani thi tumse -
15th October 2017, 10:56 PM
सुनो ,तुम तो अब अच्छा लिखने लगी हो
एक ग़ज़ल लिखवानी थी तुमसे
अबकी बार लिखो न
कुछ अपनी दोस्ती पे
कुछ अपनी मोहब्बत पे
वो कैसे मिले थे पहली बार
और कब हुआ था तुम्हे प्यार
कैसे तुमहरा दिल धड़कता था
और मिलने के लिए मचलता था
करना बयाँ उन सभी बातों को
जो सोचती थी तुम अकेली रातों को
याद है वो जब हाथों में हाथ था
लगा जैसे जीवन भर का साथ था
बड़ी से लेकर छोटी हर बात लिखना
गुज़ारा हुआ हर दिन हर रात लिखना
समेट के लम्हों को शब्दों में
कलम को डुबो के जज़्बातों में
अपने किस्से अपने अफ़साने अपनी जवानी लिखना
अधूरी ही सही पर अपनी कहानी लिखना
अधूरी ही सही पर अपनी कहानी लिखना
अधूरी ही सही पर अपनी कहानी लिखना.......
एक हाथ में दिल उनके एक हाथ में खंजर था
चेहरे पे दोस्त का मुखौटा अजीब सा मंजर था