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Originally Posted by palash
हम दिल लगा जो बैठे तेरी बेरूख़ी के साथ,
धोखा ही कर दिया, इस ज़िंदगी के साथ
आँखों में तुम ही रहते हो अब चार पहर तक,
चाहे हो गम के साथ, या खुशी के साथ
कोई तेरा फिदाई जो हो, तो क्यूँ हो,
बर्दाश्त नहीं है हमे तू किसी के साथ
वस्ले -फिगार दिल किसी काम का नहीं,
मयकशी के साथ हो या बेखुदी के साथ
इब्रत की कोई फ़िक्र, ना ही धमकियों का ख़ौफ़ ,
गर तुम सा दोस्त है मेरी बेकसी के साथ |
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bahot accha likha hai aapne............... likhte rahiye, aate rahiye.
Shaad....