Ghazal: तुम मिलि मन्जिल मिला.. -
19th November 2012, 07:38 PM
तुम मिलि मन्जिल मिला, खुदा से क्या शिकायत करूँ !
मेरे सारी दुनियाँ तुम हो, तुम्हारे ही इबादत करूँ !!
तुम ही मेरी चाहत मे हो, तुम ही मेरी आदत बन गई,
ईस्क-ए-जान हो तुम तुम्हि से ही शरारत करूँ !
जन्नतकी तुम चाँदनी हो, पल्को मे हे तेरे ही सा़या
तु भी मुझ मे फना हो जा, मोहब्बत ऐसी करामत करूँ !
साथ-साथ रहेंगे हम, ईन लम्हों में सदियों तक,
दुवा मेरी वादा मेरा, जिन्दगी तेरी अमानत करूँ !
दूर कहीं हो न जाना, तिश्नगी ए जला न जायें
खुदा करे ऐसी रहेम, सब कुछ तुम पर इनायत करूँ !!
-हमाल "express"
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