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Originally Posted by palash
चंद लम्हों की मुलाक़ात है, क्या कहिये
रस्मे उल्फत की शुरुआत है, क्या कहिये
बैचैनी आँखों में है और लब मुस्कुराते हैं
बदले बदले से मेरे दिल के हालात हैं, क्या कहिये
वो नज़रें झुककर क्या कह गयीं जाने
कितने उलझे से सवालात हैं क्या कहिये
वो पूछते हैं मेरी ख़ुशी का सबब मुझसे
बस कुछ अधूरे से वाक़ियात हैं, क्या कहिये
तुम मेरे साथ हो और उम्र गुज़र जाये यूँही
खूबसूरत ख्वाबो ख़यालात हैं, क्या कहिये !!
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wahhhhh..........bahut khoobsurat ehsaas hai..........accha lga padna.