तेरी खामोश निगाहें... -
31st December 2009, 01:15 PM
तेरी खामोश निगाहें जब मेरी नज़रों से मिलती हैं
तेरी तन्हाई तेरा गम तेरे अफ़साने कहती हैं...
तेरी पलकों का वो उठ उठ के गिर जाना वो शर्माना
फिर लफ़्ज़ों का लब तक आकर वो दफ्न दिलों में हो जाना
मेरे दिल ने भी चाहा था तुझसे मिलना तेरा होना
चाहतें पर ये ऐसी हैं जो दिल में सुलगती रहती हैं....
तेरी खामोश निगाहें जब मेरी नज़रों से मिलती हैं..
तेरी भोली मासूम अदा तेरे आँचल का लहराना
मेरे काँधों पे पल दो पल में जुल्फों का वो बिखर जाना
मेरी बाँहों में लुक छिप कर तेरा वो मुझसे लिपट जाना
तेरे दीदार की खातिर आँखें अब ये खुली ही रहती हैं...
तेरी खामोश निगाहें जब मेरी नज़रों से मिलती हैं..
और कहूँ क्या तुझको बस इतना ही फकत है समझाना
तुझ बिन जीने से बेहतर है याद में तेरी मर जाना
आ जाओ के इस हाल में मुस्किल है मेरा बच पाना
आ जाओ के ये रातें अब मुझको जीने ना देती हैं
तेरी खामोश निगाहें जब मेरी नज़रों से मिलती हैं..
तेरी तन्हाई तेरा गम तेरे अफ़साने कहती हैं...
Last edited by Neel1525; 31st December 2009 at 01:19 PM..
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