कैद कर रखा है.. -
9th July 2024, 03:26 PM
कैद कर रखा है...
उस नन्ही सी चिड़िया को…
पिंजरे में.. उस शिकारी ने….
सांस ले तो कैसे ?
इस दम घुटते कमरे में ..
पंख फैलाये.. तो कहा फैलाये …
इस छोटे से पिंजरे में..
बोलते है फिर उसे…
खुश रहकर दिखा…
थोड़ा तो चहचहा…
थोड़ा मीठा गुनगुना…
बनाया तेरे लिए,
कितना सुन्दर आशियाँ ….
वो बेचारी !
कैसे समझाए उसे?
उसका आशियाँ तो था,
वो नीला गगन….
उसकी आवाज़ तो थी,
वो गुनगुनाती हवा ….
जो उसके पंखों को सहलाते हुए,
उसे इस धरती से कोसो दूर ले जाती थी …
वो इठलाती थी…
मुस्कराती थी…
अपनी इस आजादी पर,
फक्र से इतराती थी….
पर सुनने वाला कोई कहा ….
जिससे थी उम्मीद…
जो था उसका रहनुमा…
कैद में रखा था,
उसी ने…
जानते हुए, उसके अरमा…
जानते हुए, उसके अरमा….
Mudattein hui… Mulakat hue….
Suno… Aie… Zindagi…..
Is bar jate jate….
Jara milti jana……
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