मैं हिंदुस्तान ......... -
12th August 2016, 09:22 PM
क्या पूछते हो
कौन हूँ मैं
और
पूछते हो क्यों खामोश हूँ मैं
जरा गौर से देखो
तो पहचान जाओगे
फिर
मेरी ख़ामोशी का राज़ भी जान जाओगे।
जोर जोर से पुकारा मैंने
जब जब भी गैरों ने मुझको लूटा
लेकिन अब मैं क्या करूँ
मेरे अपनों के हाथों ही
मेरा नसीब फूटा।
खाई थी कसमे
कभी न रुलायेंगे मुझे
जिसे कहते हैं जन्नत
वही दिखाएंगे मुझे
लेकिन वक़्त की चकाचौध ने
इन्हें सब कुछ भुला दिया
इनकी इसी भूल ने मुझे इस कदर रुला दिया।
हाथ उठा कर कहते हैं ,
मेरा देश महान
इन अक्ल के अन्धो को इतना भी नहीं ज्ञान
कैसे हो सकता है कोई भी देश महान
अगर भ्रष्ट और बेईमान हो उसकी सन्तान
देश के नेता अक्सर कह देते हैं
देखिए हम क्या कुछ करते हैं
शर्म आती है कहने में
कि ये कुर्सी की खातिर लड़ते हैं
कुर्सी की खातिर मरते हैं
खुद ही कानून बनाते हैं
खुद ही धजियाँ उड़ाते हैं
फिर भी सपूत कहलाते हैं
गर्व से इठलाते हैं।
अधर्मी हैं ये
कुकर्मी हैं ये
हद से ज़्यादा
बेशर्मी हैं ये।
मदिरा नहीं
यह आदमी का खून पीते हैं
दिखावे के ब्रत रखते हैं
दिखावे का दूध पीते हैं।
खुद ही तिरंगा फहराते हैं
खुद ही नीचे गिराते हैं
फिर भी सपूत कहलाते हैं
गर्व से इठलाते हैं।
क्या कहूं क्या क्या कर जाते हैं
बहु बेटी अबला सब को शिकार बनाते हैं
धर्म जात और मज़हब से वोटों के गिनती बढ़ाते हैं
संसद भवन में बैठ कर सदन की गरिमा गिराते हैं
क्या कहूं क्या क्या कर जाते हैं.......... ?
बददुआ भी तो दे नहीं सकती
बददुआ दूँ भी तो किसे
मेरी अपनी ही संतान है यह
चाहे कितनी भी बेईमान है यह
लेकिन एक बात बता देता हूँ "सीप "
तुम जलाए रखना चेतना का दीप
कहते हैं ,जो जैसा करेगा वैसा भरेगा
इतिहास इनहे भी कभी माफ़ नहीं करेगा
इतिहास इनहे भी कभी माफ़ नहीं करेगा।
राजिन्द्र सीप
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