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धीरे धीरे रात बढी, दिन के उजालो में -
24th March 2013, 05:18 PM
धीरे धीरे रात बढी, दिन के उजालो में
छम छम गम नाचे, दिन के उजालो में
कम कम है ज्ञान, कम कम श्रम
तम तम है नियम, तम तम संयम
गम गम भर आये, मय के प्यालो में
बड़ी बड़ी इच्छायें, जड़ ही कटायें
सूनी सूनी फिजायें, सूनी सूनी दिशायें
सन सन हवा चले, ढूंढे छेद दिवालो में
हार हार जीता, जीत जीत हारा
मन मन की कर कर, बारमबारा
क्या क्या खा गये, हम अवेध निवालो में
खन खन बाजे पैसा, तन तन कर बैठा
लख लख लाशो पर, व्यापारी बन लेटा
चम चम चमके, हम कर्म कालो कालो में
खेल खेला दिल का, इश्क कर इक्का
इश्क हुआ पक्का, रश्मो को दे धक्का
कटे कटे दिन रात, बस उनके ख्यालो में
कैसे कैसे मै लडा, होने को बडा बडा
बदल दल दल, बदल बदल मुखोडा
छुप छुप खेल खेला, कैसी कैसी खालो में
सच सच चुभ गया, दुविधायें धर गया
आशा और निराशा दे, चिंताये भर गया
लिये लिये "प्यास", फसे कैसे कैसे जंजालो में
अरविंद व्यास "प्यास"
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Anshumali
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Posts: 7,420
Join Date: Apr 2009
Location: DELHI (INDIA)
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30th March 2013, 12:51 PM
Quote:
Originally Posted by arvindvyas
धीरे धीरे रात बढी, दिन के उजालो में
छम छम गम नाचे, दिन के उजालो में
कम कम है ज्ञान, कम कम श्रम
तम तम है नियम, तम तम संयम
गम गम भर आये, मय के प्यालो में
बड़ी बड़ी इच्छायें, जड़ ही कटायें
सूनी सूनी फिजायें, सूनी सूनी दिशायें
सन सन हवा चले, ढूंढे छेद दिवालो में
हार हार जीता, जीत जीत हारा
मन मन की कर कर, बारमबारा
क्या क्या खा गये, हम अवेध निवालो में
खन खन बाजे पैसा, तन तन कर बैठा
लख लख लाशो पर, व्यापारी बन लेटा
चम चम चमके, हम कर्म कालो कालो में
खेल खेला दिल का, इश्क कर इक्का
इश्क हुआ पक्का, रश्मो को दे धक्का
कटे कटे दिन रात, बस उनके ख्यालो में
कैसे कैसे मै लडा, होने को बडा बडा
बदल दल दल, बदल बदल मुखोडा
छुप छुप खेल खेला, कैसी कैसी खालो में
सच सच चुभ गया, दुविधायें धर गया
आशा और निराशा दे, चिंताये भर गया
लिये लिये "प्यास", फसे कैसे कैसे जंजालो में
अरविंद व्यास "प्यास"
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Bahut Sunder .. Arvind JI
AdhbhuT Rachna
Badhaaii !!!
YuuN Besabab Aansoo Aate NahiN
Lag Zaroor Koii Baat Dil Ko Rahii Hai ...
Fareb Kaa ChaDhtaa Bazaar Dekh
Insaaf Se Bastii Khaalii Ho Rahii Hai ...
---Naresh Mehra----
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Registered User
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Posts: 60
Join Date: Jul 2006
Location: abu dhabi
Rep Power: 21
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2nd April 2013, 03:39 AM
वाह नरेश जी, धन्यवाद जी
इसे आप यु ट्यूब में भी देख सकते है ....
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man ki kalam.....
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Posts: 187
Join Date: Dec 2009
Location: lucknow
Rep Power: 21
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23rd July 2014, 08:50 PM
Quote:
Originally Posted by arvindvyas
धीरे धीरे रात बढी, दिन के उजालो में
छम छम गम नाचे, दिन के उजालो में
कम कम है ज्ञान, कम कम श्रम
तम तम है नियम, तम तम संयम
गम गम भर आये, मय के प्यालो में
बड़ी बड़ी इच्छायें, जड़ ही कटायें
सूनी सूनी फिजायें, सूनी सूनी दिशायें
सन सन हवा चले, ढूंढे छेद दिवालो में
हार हार जीता, जीत जीत हारा
मन मन की कर कर, बारमबारा
क्या क्या खा गये, हम अवेध निवालो में
खन खन बाजे पैसा, तन तन कर बैठा
लख लख लाशो पर, व्यापारी बन लेटा
चम चम चमके, हम कर्म कालो कालो में
खेल खेला दिल का, इश्क कर इक्का
इश्क हुआ पक्का, रश्मो को दे धक्का
कटे कटे दिन रात, बस उनके ख्यालो में
कैसे कैसे मै लडा, होने को बडा बडा
बदल दल दल, बदल बदल मुखोडा
छुप छुप खेल खेला, कैसी कैसी खालो में
सच सच चुभ गया, दुविधायें धर गया
आशा और निराशा दे, चिंताये भर गया
लिये लिये "प्यास", फसे कैसे कैसे जंजालो में
अरविंद व्यास "प्यास"
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bahut .....khoob
mujhe pasand aayi....... aapka prem
anjana prem sab meri muskurahat se jalte hai, mai sabko hasata chala gaya. pasand thi jamane ko meri barbadi, mai unpe dil-o-jaan lutata chala gaya.
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