मोहब्बत -
15th January 2015, 10:44 AM
कदम थक गए है दूर निकलना छोड़ दिया,
पर ऐसा नहीं की मैंने चलना छोड़ दिया.......
फासले अक्सर मोहब्बत बढ़ा देते है,
पर ऐसा नहीं की मैंने मिलना छोड़ दिया.........
मैंने चिरागों से रोशन की है अक्सर अपनी शाम,
पर ऐसा नहीं की मैंने दिल को जलाना छोड़ दिया .......
मैं आज भी अकेला हूँ दुनिया की भीड़ में,
पर ऐसा नहीं है की मैंने ज़माना छोड़ दिया......!!!
" सलीका हो अगर भीगी आँखो को पढने का तो...!!!
अक्सर बहते हुए आँसू भी बात किया करते है"...!!!
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